कैसे उनके बगैर वक़्त बिताया जाए,
दिल-ए-नाशाद को किस तरह मनाया जाए,
जब दिल को ना मिले कहीं सुकून तो,
उसकी तस्वीर को सीने से लगाया जाए,
खुद बिखर जाएगी सव भर में रौशनी,
बस रुख़-ए-यार से ये परदा हटाया जाए,
जो तरसते रहे वफ़ा के लिए ,
उनको आईना दिखाया जाए ,
चलो आसान कर देते हैं खुदा की राहें,
जो परेशान हैं उन्हें और सताया जाए..!!