"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Saturday, March 11, 2017

कैसे उनके बगैर वक़्त बिताया जाए 💕

कैसे उनके बगैर वक़्त बिताया जाए,
दिल-ए-नाशाद को किस तरह मनाया जाए,

जब दिल को ना मिले कहीं सुकून तो,
उसकी तस्वीर को सीने से लगाया जाए,

खुद बिखर जाएगी सव भर में रौशनी,
बस रुख़-ए-यार से ये परदा हटाया जाए,

जो तरसते रहे वफ़ा के  लिए ,
उनको आईना दिखाया जाए ,

चलो आसान कर देते हैं खुदा की राहें,
जो परेशान हैं उन्हें और सताया जाए..!!

बताना तुझसे मुझे इतनी मोहब्बत क्यूँ है..💕

जाने इस दिल को तेरे नाम से निसवत क्यू है,
बताना ज़िंदगी को तेरी ज़रूरत क्यूँ है,

कम्बख़त दिल कहीं लगता ही नही,
सारी दुनिया से शिकायत क्यूँ है,

क्यूँ नही लगती कहीं तबीयत तेरे बगैर,
बताना तुझसे मुझे इतनी मोहब्बत क्यूँ है,

मै क्यूँ ना मान लूँ नसीबों की बात,
मुझमे हालत से लड़ने की अदावत क्यूँ है,

यूँ तो और भी अज़ीज़-ओ-खास हैं मेरे एहबाब,
हर सख्श से आला तेरी शोहबत क्यूँ है,

सनासे तो और भी हैं इस शहर में मेरे,
तेरे ही साथ रहने की मुझे आदत क्यूँ है,

धोखे ही मिल रहे हैं सभी से फिर भी,
मुझे हर आदमी से इतनी सखावत क्यू है,

⏪ निसबत = सम्बंध, अदावत =शत्रुता, एहबाब = मित्र, सखावत = उदारता 

Saturday, November 26, 2016

तुमसे बहुत कुछ कहना है मगर..💕



तुमसे बहुत कुछ कहना है मगर.... 
कभी तुम नही मिलते,
कभी अल्फ़ाज़ नही मिलते !

ये दूरिया तो मिटा दूँ में एक पल में मगर,
कभी कदम नही मिलते,
कभी रस्ते नही मिलते !

तुम्हे पाना चाहता हूँ उम्र भर के लिए मगर 
कभी हालात नही मिलते,
तो कभी जज़्बात नही मिलते....!!

Saturday, December 5, 2015

इस ख़ामोशी में कुछ तो बात छिपी होगी 💕


इस ख़ामोशी में कुछ तो बात छिपी होगी,
इससे धड़कन की कुछ तो बात बढ़ी होगी..!

नज़रे यु झुक जाये भी तो क्या.....
ख़ामोशी ने दिल की कुछ तो बात कही होगी ..!

न फेर यु नज़रे मुझसे इस कदर.....
वरना ख़त्म इन सांसों की रवानी होगी ..!

आज बेरुखी है जो तेरी आँखों में.....
कल इनसे रूसवाइयां होगी ..!

निकले है जो अश्क़ इन आँखों से.....
कुछ तो इनकी भी कहानी होगी..!

ये दर्द, ये बेबसी, ये तन्हाइयां मेरी.....
न जाने कब ख़त्म ये दिवानगी होगी..!

मेरी वफ़ा का उनपर फकत इतना असर है

आसमाँ पे सरे-शाम से जब तारे उतर आते हैं,
मेरी आँखों में भी कुछ जुगनू जगमगाते हैं,

उसकी शोहबत ही याद आती है ,
जब कभी रास्ते सुनसान नज़र आते हैं,

जाने क्या हो गया है दुनिया को,
खोए-खोए से इंसान नज़र आते हैं,

जिनसे हम हर घड़ी मिलने की दुआ करते हैं,
निगाहें फेर कर वो लोग गुज़र जाते है,

जबसे आए हैं वो दहलीज़ पे जवानी की,
वो अपने घर में भी मेहमान नज़र आते हैं,

मेरी वफ़ा का उनपर फकत इतना असर है,
गर कहीं देख लें मुझको तो संवर जाते है..!!

Monday, November 30, 2015

जबसे बदल गयी है वफ़ा की सूरत

जो भी मिलता है दिल दुखाने को,
जाने क्या हो गया जमाने को,

के तर जब हो गया मेरा दामन,
तो शिद्दत हो गयी जमाने को,

बात-बात पर घर छोड़ने को कहता है,
कैसे रोकू मै दिल दीवाने को,

मायूश ही लौटे हैं उस दर से अभी तक,
चले जाते है फिर भी किस्मत आज़माने को,

जबसे बदल गयी है वफ़ा की सूरत,
करता ही नही दिल किसी से दिल लगाने को..!!

जालिम को फिर भी मुझपे ऐतवार नहीं

दिलाशाई तो बहुत हैं मददगार नही है,
यहाँ दोस्त तो बहुत हैं वफ़ादार नही हैं,

एक रोज बाज़ आयेंगे वो बेवफ़ाई से,
उम्मीदें तो बहुत पर आसार नही है,

शायद ही कोई होगा दुनिया में खुशनसीब,
ज़िसकी ज़िंदगी गमों से दो-चार नही है,

मेरी बेगुनही का हर अश्क गवाह है,
जालिम को फिर भी मुझपे ऐतवार नहीं है,

सारा दिन बड़ी मुस्किल से गया है मेरा,
शायद के आज मौसम ख़ुशगवार नही है..!!

मै अब तेरे लिए कोई कसम ना खाऊंगा

मैं इक मुशफिर हूँ ना जाने किधर जाऊँगा,
इक रोज तेरी बस्ती से खामोश गुज़र जाऊँगा,

बड़े बेमुरब्बत हो गये हैं लोग यहाँ ,
मै इस शहर से कहीं दूर चला जाऊँगा,

तू मुझे देखकर राहें ना बदल,
मै खुद तेरी ज़िंदगी से दूर चला जाऊँगा,

ऐ संगदिल मेरे ज़ज्बात को ग़लत ना समझ,
आज के बाद अपने दिल को में समझाऊँगा,

मैने इक उम्र गुज़ारी है तेरी चाहत में,
तू ही बता में तुझे कैसे भुला पाऊँगा,

तमन्ना है ना कोई अब, ना कोई आरजू है,
मै अब तेरे लिए कोई कसम ना खाऊंगा,

तूने ठुकराया मै पत्थर नही इंसान था ,
मै शीशा भी नही कोई जो बिखर जाऊँगा,

तुझसे शिकवा है मुझे हाँ बड़ी शिकायत है,
सोचता हूँ मै तेरे घर कभी ना जाऊँगा..!!

मेरी जाँ है सर आँखों पे हर सितम तेरा



मेरी जाँ है सर आँखों पे हर सितम तेरा,
मेहरबानी है शुक्रिया बड़ा करम तेरा,

तब मिली है ये छाँव जुल्फ की,
धूप से जल गया वदन मेरा,

बारिशें रहमतों की तब हुई हैं ,
के दामन हो गया जब तर मेरा,

हालत-ए-दिल को समझता भी नही,
कितना मासूम है सनम मेरा..!!

तू तो पूरा बेवफा भी नही




बिना मोहब्बत कुछ मज़ा भी नही,
इससे बढ़कर कोई सज़ा भी नही,

गुल ये झड़ जाएँगे तो जानोगे,
ये हसीं बागवाँ कुछ भी नही,

मुंतज़िर कौन हो टूटे दिल का,
जिसमें आहों के सिवा कुछ भी नही,

हमने खुद अपनी ख़ताओं की सज़ा पाई है,
जमाने से गिला कुछ भी नही,

मुझे रुलाकर तू खुद भी गमजदा है,
तू तो पूरा बेवफा भी नही,

ज़िंदगी ने भी ये किस मोड़ पर लाकर छोड़ा,
जहाँ सवालों के सिवा कुछ भी नही,

उसके पहलू में कायनात मेरी,
ये जहाँ उसके बिना कुछ भी नही,

गर्मी -ए- हसरातों से ज़िंदा हैं,
दिल में धड़कन के सिवा कुछ भी नही,

हम तो उसकी नज़र के प्यासे हैं,
मयक़दा कुछ भी नही..!!