"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Monday, November 30, 2015

मै अब तेरे लिए कोई कसम ना खाऊंगा

मैं इक मुशफिर हूँ ना जाने किधर जाऊँगा,
इक रोज तेरी बस्ती से खामोश गुज़र जाऊँगा,

बड़े बेमुरब्बत हो गये हैं लोग यहाँ ,
मै इस शहर से कहीं दूर चला जाऊँगा,

तू मुझे देखकर राहें ना बदल,
मै खुद तेरी ज़िंदगी से दूर चला जाऊँगा,

ऐ संगदिल मेरे ज़ज्बात को ग़लत ना समझ,
आज के बाद अपने दिल को में समझाऊँगा,

मैने इक उम्र गुज़ारी है तेरी चाहत में,
तू ही बता में तुझे कैसे भुला पाऊँगा,

तमन्ना है ना कोई अब, ना कोई आरजू है,
मै अब तेरे लिए कोई कसम ना खाऊंगा,

तूने ठुकराया मै पत्थर नही इंसान था ,
मै शीशा भी नही कोई जो बिखर जाऊँगा,

तुझसे शिकवा है मुझे हाँ बड़ी शिकायत है,
सोचता हूँ मै तेरे घर कभी ना जाऊँगा..!!