दिलाशाई तो बहुत हैं मददगार नही है,
यहाँ दोस्त तो बहुत हैं वफ़ादार नही हैं,
एक रोज बाज़ आयेंगे वो बेवफ़ाई से,
उम्मीदें तो बहुत पर आसार नही है,
शायद ही कोई होगा दुनिया में खुशनसीब,
ज़िसकी ज़िंदगी गमों से दो-चार नही है,
मेरी बेगुनही का हर अश्क गवाह है,
जालिम को फिर भी मुझपे ऐतवार नहीं है,
सारा दिन बड़ी मुस्किल से गया है मेरा,
शायद के आज मौसम ख़ुशगवार नही है..!!