जो भी मिलता है दिल दुखाने को,
जाने क्या हो गया जमाने को,
के तर जब हो गया मेरा दामन,
तो शिद्दत हो गयी जमाने को,
बात-बात पर घर छोड़ने को कहता है,
कैसे रोकू मै दिल दीवाने को,
मायूश ही लौटे हैं उस दर से अभी तक,
चले जाते है फिर भी किस्मत आज़माने को,
जबसे बदल गयी है वफ़ा की सूरत,
करता ही नही दिल किसी से दिल लगाने को..!!