आसमाँ पे सरे-शाम से जब तारे उतर आते हैं,
उसकी शोहबत ही याद आती है ,
जब कभी रास्ते सुनसान नज़र आते हैं,
जाने क्या हो गया है दुनिया को,
खोए-खोए से इंसान नज़र आते हैं,
जिनसे हम हर घड़ी मिलने की दुआ करते हैं,
निगाहें फेर कर वो लोग गुज़र जाते है,
जबसे आए हैं वो दहलीज़ पे जवानी की,
वो अपने घर में भी मेहमान नज़र आते हैं,
मेरी वफ़ा का उनपर फकत इतना असर है,
गर कहीं देख लें मुझको तो संवर जाते है..!!