"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Monday, November 30, 2015

गैर को सामने मेरे मगर अपना ना कहो

खाक़ ही रहने दो मुझको आसमाँ ना कहो,
फिर मुझे एक बेज़ुबाँ ना कहो,

ये तो गुज़ारिश है आप से साहब,
तुम इसे मेरी इल्तजा ना कहो,

बड़ी मोहब्बत है हमें उनसे हुजूर,
उनके बारे में कुछ बुरा ना कहो,

अभी तो उम्र पड़ी है ये आज़माने को,
अभी से उनको बेवफा ना कहो,

ना मिलो दूर रहो देखो भी ना हमको बेशक़,
पर कभी हमसे अपने आपको जुदा ना कहो,

शौक़ से छोड़ दो मुझको जो छोड़ना चाहो,
गैर को सामने मेरे मगर अपना ना कहो,

तुम खुश रहो आबाद रहो फूलो फलो,
आरजू है ये मेरी तुम इसे दुआ ना कहो,

मेरे हालात मेरी बात पर यकीं तो करो,
मुझपे गुज़री है मेरे दोस्त दास्ताँ ना कहो,

मै मानता हूँ के परवाज़ हुई है मुझसे,
खुदा के वास्ते पर उड़ता परिंदा ना कहो,

खामोश चलना तो जवानी की आदत ही नही,
पट खुल गई जिनकी उन्हें रुस्वा  ना करो,

मै जैसा हूँ जिस हाल में हूँ खुश हूँ ,
बस मेरे सामने अब खुदको तुम खुदा ना कहो...!!