मेरे जज़्बे से खेलना ही था,
उन्हें इस दिल को तोड़ना ही था,
क्यूँ आई मेरी ज़िंदगी में तुम?
जब तुम्हे गैर का होना ही था,
क्यूँ मुझे प्यार का दिया धोखा?
जब मुझे तन्हा छोड़ना ही था,
रिश्ते - रिश्ते हैं कच्चे धागे नही,
टूटे रिश्तों को जोड़ना ही था,
बात कुछ ऐसी पूछ बैठे वो,
के हमें झूठ बोलना ही था..!!