"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Monday, November 30, 2015

कब से तेरी फिराक मै बैठे हैं

हद-ए-निगाह तक वाकी जहाँ तन्हाई है,
ज़िंदगी जाने हमें किस जगह पे लाई है,

 खामोश होकर बैठ गया हूँ मै हारकर,
खुद अपनी ही कुव्वत ना अपने कम आई है,

उठकर दरीचे से गली में झाँक लेते हैं,
जब-जब तेरी सी पायल की आवाज़ आई है,

हुआ है मुझको उनकी नरम उंगलियों का गुमाँ,
ये हवा शायद उनके हाथों को छूके आई है,

अभी घबराता है वो मेरे पास आने से,
अभी उस शख्स से कुछ ताज़ा सनासाई है,

हमारे रवैये से है हर दोस्त परेशां,
क्या करें हमने कुछ फ़ितरत ही ऐसी पाई है,

हम जिसके भी रहबर हुए उसी के हो गये,
समझा ना कौन दोस्त है या कौन भाई है,

कब से तेरी फिराक मै बैठे हैं ,
तू आया है ना तेरी कोई खबर आई है..!!