जो मेरी दास्तान सुनकर उठा है,
बीती रात का उससे अभी हिसाब न लो,
वो अभी जगा है सोकर उठा है,
अभी तुम उसको हँसने की कोशिशें ना करो,
अभी चुपा है वो रोकर उठा है,
जो खेलने बैठा जुआ मोहब्बत का ,
ना पूछो क्या क्या वो खोकर उठा है,
मेरे आने से चल पड़ा जो छोड़कर महफ़िल,
वो मेरे दिल को दुखाकर उठा है,
उसका हाल कुछ नाशाद नज़र आता है,
फिर कोई धोखा वो खाकर उठा है..!!