जिसे हर रंज-ओ-गम दुनिया का गवारा होगा,
हाँ वही शख्स तेरे प्यार का मारा होगा,
यही पहचान होगी बस तेरे दीवाने की,
पागल सा मिज़ाज़ उसका आवारा होगा,
तेरे रुखसार पे ही टिक के रह गयी है नज़र,
क्या इससे बेहतरीं जन्नत का नज़ारा होगा,
जानना चाहता हूँ उसकी अपनी ज़िंदगी भी,
क्या उसके घर में कभी ज़िक्र हमारा होगा,
काग़ज़ मिला, पत्ता मिला, पत्थर कोई दीवार,
अपने जज्वात को हर शय पे उतारा होगा,
पढ़ो जो तुम तो हमें याद करो,
ग़ज़ल में लिखा कहीं नाम हमारा होगा,
कसम तो खा गये हैं आज से ना पीने की,
ना जाने कैसे अब मयकश का गुज़ारा होगा,
अभी कुछ और दर बैठे रहो यूँ ही ,
अभी कुछ दर में बस उनका इशारा होगा..!!