माहौल को ही जैसे खुशनुमा बना गये,
कल सब मेरे दरवाजे पे दस्तक सी हुई थी,
मुझको लगा हुजूर शायद आप आ गये,
एक उम्र भी कम है जो उन्हें सोचने लगें,
वो ज़िंदगी को कितना मुख़्तसर बना गये,
उनसे मिलकर ज़िंदगी कितनी बदल गयी,
हम क्या हुआ करते थी वो क्या बना गये,
मुझको तो उनके कदमों में भी जगह ना मिली ,
और वो हैं के इस दिल में अपना घर बना गये,
हमने तो सिर्फ़ लफ़्ज़ों को आईना दिखाया,
आदमी वो थे जो इक बूँद में दरिया दिखा गये..!!