वो जब मेरे करीब आए हैं,
मैने कुछ शेर गुनगुनाए हैं,
फिर खुला है धीरे से दरबाजा,
ये उनकी याद का जादू था जिसने,
बयाबाँ में भी गुल खिलाए हैं,
सांस लेकर सिमट के बैठ गये,
ना जाने कितने गम उठाए हैं,
जब से उस शख्स से बना रिस्ता,
हर घड़ी फ़िक्र-ओ-गुम उठाए हैं,
बारिश-ए-अश्क़ में हम जब हुए तर,
यूँ लगा पहली बार नहाए हैं,
हमने देखी है घूमकर दुनिया,
हर कदम पर फरेब खाए हैं,
क्या अजीब मंज़र है,
हर तरफ साए - साए -साए हैं..!!