छोटा सा दिल है पहाड़ों से गम,
नन्ही सी जाँ पे हैं कितने सितम,
मुबारक़ हो तुमको ये सातों जनम,
मेरे दर्द से वो परेशा क्या होगा,
के वो संग दिल है बड़ा बेरहम,
कहीं का ना छोड़ेगी ये आशिक़ी,
के जीने ना देंगे ये लुत्फ़-ओ-करम,
सफ़र ये मोहब्बत का आसां नही,
के इस राह में है बड़े पेच-ओ-खम,
यहाँ ज़िंदा रहना बड़ी बात है,
के हर सांस पर है उधार एक दम,
संभलने का जब वक़्त आया है तो,
बहकने लगे है हमारे कदम,
ये माना के दिल में खुदा है मगर,
तो किसके लिए हैं ये दैर-ओ-हरम,
इस गर्दिश-ए-दौरा के कहने पे ,
तोड़ दी हमने न जाने कितनी कसम..!!