दिल-ए-मायूश को हाथों से थाम लो,
दौर-ए-गम है ज़रा सब्र से काम लो,
दरिया-ए-दिल के मोती हैं ये अश्क,
इन्हें गिरने ना दो पलकों पे थाम लो,
लम्हा-लम्हा डूब रहा है वक़्त के दरिया में,
कुछ पल तो हमें बाहों में थाम लो,
ताज़ा होते हैं इससे ईमान-ओ-ज़ुबाँ,
इज़्ज़त से, अदब से उनका नाम लो,
लो चला मै तो दिल के कहने पे,
तुम यहीं बैठे रहो अक्ल से काम लो...!!