"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Thursday, July 30, 2015

वक़्त बेवक़्त सोचता हूँ मै

या तो अपना दिल ही रवाँ-रवाँ ना हो,
या फिर इस बेघर का कोई ठिकाना हो,

वक़्त बेवक़्त सोचता हूँ मै,
उनके घर पे कैसे आना जाना हो,

आए दिन उसपे कुछ एहसान करो,
किसी को अपना गर बनाना हो,

हर घड़ी उसके दिल की बात करो,
तुम्हें जिसका भी दिल चुराना हो,

पहले कुर्बनियाँ दो उसके लिए,
किसी पे हक़ अगर जताना हो,

कब तलक छुप सकेगा राज कोई,
जले भी आग और धुआँ ना हो,

बात दिल में हो और कह ना सको,
इससे बेहतर है जूस्तज़ु ना हो...!!