उनके होठों पे आके हँसी रह गयी,
दिल के जज़्बात को होंठों से गिला है इतना,
ज़ुबाँ खुलते-खुलते थमी रह गयी,
वक़्त चलता रहा दिन गुज़रते गये,
बात जो थी जहाँ थी वहीं रह गयी,
आँखों - आँखों में खामोश चाहत रही,
प्यार के नाम पे दोस्ती रह गयी,
बहिर-ए-उल्फ़त में लाई कहाँ ज़िंदगी,
कश्ती ऐसी फँसी के फँसी रह गयी,
अभी आता है नज़र उसका साया,
मौत के बाद कुछ ज़िंदगी रह गयी..!!