जब कोई आस ना रही वाकी,
क्यूँ मेरी ज़िंदगी रही वाकी ?
उसने लौटा दिए सभी तोहफे,
जाने क्या चीज़ रह गयी वाकी ?
अभी एक बार उससे और मिलूं,
मगर क्या बात रह गयी वाकी ?
होके नाकाम भी ये लग रहा है,
मेरी तलाश रह गयी वाकी ?
क्या करूँगा अब उससे मिलके भी,
और क्या सुनने को रह गया वाकी ?
बारिश-ए-अश्क में यूँ तर हुए हैं,
बस कोई प्यास ना रही वाकी,
मस्तघन ये कमी सी कैसी थी ?
एक कसर उम्र भर रही वाकी..!!