लाज़मी है रहना मेरा आफक़रा,
उनकी मर्ज़ी है और दिल हमारा,
जब से उनको देखा है गेसू सुलझाते,
तू इस बात को क्या जानेगा बेपरवाह,
तूने किसको रखा है किसको मारा,
फिर है आज सुबह से तबीयत रबाँ-रबाँ,
कल भी मै सोया था बड़ा थका-थका,
छोड़कर दुनिया को चला तो जाऊँ,
तन्हा-तन्हा कहाँ फिरूँगा मारा-मारा,
काश ज़मीं को इसकी खबर भी हो पाती,
अबकी बार कहाँ टूटेगा कोई तारा,
वो निकलें घर से तो कर्म इलाही का,
जो उनकी गलियों में घूमे- आवारा,
वो हो गये पराए ये क्या कम है,
होंगे गैर की बाहों में और तसब्बुर हमारा..!!