मै तेरी वज्म से कुछ लम्हे छुपा लाया हूँ,
वक़्त की शाख से दो पत्ते चुरा लाया हूँ,
सोचता हूँ के तुम्हें नज़र करूँ,
अपने जज़्बात को इस खत में सज़ा लाया हूँ,
मुझको मालूम है तगाफुल ही करोगे फिर भी,
दिल ना माना तुम्हारे पास चला आया हूँ,
तुमको हक़ है के मुझको ठुकरा दो,
तुम्हारे घर बिना बुलाए चला आया हूँ,
मेरा हर जख्म ले रहा है आपका ही नाम,
आप ना मानो मगर आपका सताया हूँ.!!