ऐसा भी नही के तू ग़लत है,
तू अच्छा कम मगर बुरा बहुत है,
मुझे शिकायत तेरी जफ़ा से नही,
सोचता हूँ मै कहीं और चलूं,
इस शहर में तेरा चर्चा बहुत है,
तेरी तारीफ किस ज़ुबाँ से करूँ,
क़र्ज़ ईमान पे तेरा बहुत है,
मै फिर भी तुझपे शक नही करता,
तेरे बारे में सुना तो बहुत है,
वो जो नादां हैं उन्हें समझाओ,
मेरे लिए तो इशारा बहुत है,
फिर उसने ऐसा क्यूँ किया?
सुना वो दिल तोड़कर रोया बहुत है.