नसीब अपना क्यूँ बुरा निकला,
क्यूँ मेरा यार बेवफा निकला,
आज जब टूट गया तो जाना,
दिल मेरा काँच का टुकड़ा निकला,
मै जिसे सोचकर दरिया इधर चला आया,
मगर देखा तो वो शहरा निकला,
मैने जब देखा बेनक़ाब उसे,
मेरे होठों से मरहवा निकला,
उतरा जब उसकी शराफ़त का लिवास,
वो गुनाहों का बादशाह निकला,
कर गया तमाम ज़िंदगी खाली सी वो,
कहने को तो बस दिल से एक अरमान निकला..!!