हर जगह से तेरी पहचान हटाई हमने,
बेसबब घर की हर इक चीज़ सजाई हमने,
जान ले लेती तेरी याद यक़ीनन एक दिन,
हमने की थी कभी जिनकी सलामती की दुआ,
उम्र भर उनके लिए दी है दुहाई हमने,
जिस तरफ से भी हुआ शिकवा अपनी नज़रों से,
फिर कभी उस तरफ ना आँख उठाई हमने,
फिर बुराई ही मिली है उसकी जानिब से,
जिसके भी साथ अगर की है भलाई हमने,
तेरी फिराक़ में भटके बहुत अब सोचते है,
कीमती ज़िंदगी क्यूँ ऐसे गँवाई हमने,
बेकरारी में जो लिखे थे कभी तेरे लिए,
उन्हीं खतों को आज आग लगाई हमने...!!