माना के उसे हमसे कोई वास्ता नही,
उस शख्स-ए-बेवफा को हम भूल तो जाते,
गर कभी वो मुड़ककर हमें देखता नही,
यारों के तगाफुल से होती है शिकायत,
माशूक है अगर तो बेवफा बुरा नही,
शय-ए-इश्क के बारे में ये अपना ख़याल है,
इश्क मर्ज़ ला इलाज़ और कोई दवा नही,
भँवरा जो रहा बंद एक गुल में तमाम रात,
बोला, हम सो ना सके पर वो शबिस्ता बुरा नही,
मायूश ना हो दिल टूटने के बाद,
ये लाज़मी था यार कोई हादसा नही..!!