ज़माने भर में ये मौसम मिले हैं,
कहीं खुशिया कहीं मातम मिले हैं !
सुना खुशियाँ भी बाँटता है वो,
मुझे तो जब मिले हैं गम मिले हैं !
ज़ह-नसीब तेरी नफ़रत भी,
के तेरी बेरूख़ी को हम मिले हैं !
ये जमाना फक़त बुरा तो नही,
पर अच्छे लोग बहुत कम मिले हैं !
जो सीधे सादे नज़र आते हैं,
उनके अंदर भी पेच-ओ-खम मिले हैं !
तुझको लगता है इत्तेफ़ाक़ मगर,
बड़ी मुश्किल से तुझसे हम मिले हैं !!