"Kuch Jazbaat" can say everything in its own beautiful way and connected somewhere us to our heart with our deep emotions. It's express our Feeling, Love, Affection, Care, Sorrow and Pain.

Wednesday, July 29, 2015

हर दुआ हमारी बे-असर क्यूँ है ?

बात ये नही वो इतना सितमगर क्यूँ है ?
इस क़दर आदमी पत्थर क्यूँ है ?
हम तो पहले से तुझपे मर मिटे हैं,
फिर तेरे हाथ में खंज़र क्यूँ है ?

तू भी इंसान है एक मेरी तरह,
दिल मेरा तेरा मुंतज़ीर क्यूँ है ?

सिवाए हुस्न कोई बात और नही उसमें,
जाने इस शहर में वो इतना नामवर क्यूँ है ?

वो अगर खुश है तो मुझको कोई मलाल नही,
पर मेरे गम से बेख़बर क्यूँ है ?

खुदा पर तो यकीं हमको पूरा है मुझे
फिर हर दुआ हमारी बे-असर क्यूँ है ?