वो ख़्वाब है उसे छूने की कोशिश ना करो,
कुछ ना कहो बस खामोशी से देखते रहो,
क्या हुआ गर चाँद को छू ना सके कभी,
क्या कम है के नज़रें उठाके देखते रहो,
गुल की ज़ीनत साख पर है हाथ में नहीं,
फस्ल-ए-गुल है जब तलक बस देखते रहो,
किसी को ख्वाबों में गले लगाने से अच्छा,
बेहतर है के जी भरके उसे देखते रहो...!