वो सबब आपको बताना क्या,
मगर अब आपसे छुपाना क्या,
आपका हुस्न आपके जलवे,
लोग कहते हैं मेरे बारे में,
मेरे जैसा भी एक दीवाना क्या,
मुस्तकिल वो जो दिल में रहते हैं,
हाल-ए-दिल उनको भी बताना क्या,
हाँ जो वादे पे भी नही आते,
ऐसे लोगों को घर बुलाना क्या,
अपने बूते पर गर भरोसा नही,
फिर मुक़द्दर को आज़माना क्या,
वो तो बस इत्तेफ़ाक़न मिलते हैं,
उनकी गलियों में आना जाना क्या,
मेरा सुलूक मेरा तार्रुफ है,
अपने बारे में और बताना क्या..!!