वफ़ा की आग में जो खुद को जला देता,
उस से मोहह्बत का मैं रिश्ता निभा देता,
आज अगर उनकी गलियों में जाता तो,
उनकी यादों को आख़िर जवाब क्या देता,
खंज़र उतारती थी तन्हाई जिस दिल में,
अगर मुझे कहती हाँ, तो खुद को मिटा देता,
बंज़र पड़ी है मोहब्बत की धरती भी , यह जन्म,
काश चले जाने के बाद, उनको बुला लेते,
बेवफ़ा ने अगर एक मौका दिया होता,
ज़माने को भी मैं मोहब्बत सीखा देता…।।