कोई नज़र नहीं बची जो मेरा इंतज़ार करे,
कोई मौसम नहीं जो पतझड़ को बहार करे..
हमे देख के यह कांटे भी मुंह फेर लेते है,
क्यों यह नादान किसी को शर्मशार करे..
कोई नफरत ही दे दे तो ज़िंदगी कटे ये,
ना आरज़ू है बाकी कोई हमे प्यार करे..
खुद से किया कोई वादा निभा न सके,
क्यों कोई हम पर अब और ऐतवार करे..
हर मौसम ज़िंदगी का खिंजा जैसा है,
क्यों वक्त मेरे रंज़ो-गम का इतवार करे..
बुझा दो हर चराग मेरी राहों का मुहब्बत,
मेरी ज़िंदगी का अँधेरा यही पुकार करे ♥♥♥..!!
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