जो मेरा ना हो सका वो तेरा होगा..! जी नही,
क्या मिलेगा मुझसे वो अब इतनी रुसवाई के बाद,
वो भी सरमिंदा बहुत है मेरी रज़ा भी नही,
साफ दिखती हैं दरारें अब दीवार-ए-इश्क़ में
सामने शर्म-ओ-हया का कोई परदा भी नही,
ख़त्म हुआ सिलसिला अब छूटे सब फ़िक्र-ओ-ख़याल,
अच्छा हुआ के यार अब कोई वफ़ादारी नही,
थम गयी हो सांस जैसे इस क़दर गुम-सुम हुआ,
हाल मेरा पूछने अब कोई आता भी नही,
बुझ गयी शम्म-ए-तमन्ना मेरी दिल की ,
गम के अंधेरो मे नज़र आता हमें कुछ भी नही..!!