एक दुआ ये भी माँगता है कोई,
रोज जीता है रोज मरता है,
सच तुझे यूँ भी चाहता है कोई,
मै तो सो जाता हूँ मगर मुझमें,
तमाम रात जागता है कोई,
तन्हा पाते ही गुदगुदाता है,
हाँ मुझे यूँ भी सताता है कोई,
सुनी -सुनी सी लग रही है सदा,
ऐसा लगता है बुलाता है कोई,
डूबता सूरज वो उड़ते परिंदे
शाम यूँ भी गुज़ारता है कोई...!!