कितना मुश्किल है खुद को समझाना,
या अपने आप को समझ पाना !
टूटना दिल का या फिसल जाना !
कोई हैरत नही दस्तूर है ये,
वक़्त के साथ में बदल जाना !
यही है अपने मरासिम का गवाह,
देख मुझको तेरा संभाल जाना !
बयाँ करता है तेरी बेवशी को,
बदलके करवटें सिमट जाना !
बड़ा अफ़सोस पैदा करता है,
ज़ुबान से बात का निकल जाना !
मस्त घन कैसे भूल सकता हूँ,
करके वादा तेरा मुकर जाना !!