मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो...
कुछ यार बहुत याद आते है,
मैं गुज़रे पल को सोचूँ तो…
कुछ यार बहुत याद आते है,
अब जाने कौन सी नगरी में...
अाबाद है जाकर मुद्दत से…
मैं देर रात तक जागूँ तो…
कुछ यार बहुत याद आते है,
कुछ बातें थी फ़ूलों जैसी
मैं शहर-ए-चमन में टहलू तो
कुछ यार बहुत याद आते है,
सबकी ज़िन्दगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
कोई Girlfriend में Busy है
कोई Wife के पीछे Crazy है
किसी को नौकरी से फुर्सत नहीं
किसी को यारो की ज़रूरत नहीं
कोई पढ़ने में डूबा है
किसी की दो-दो मेहबूबा है
सारे यार गुम हो गए है
अब तू से तुम और आप हो गए है
मैं गुज़रे पल को सोचूँ तो…
कुछ यार बहुत याद आते है,
~AP~