सिर्फ नज़र से जलते हो आग चाहत की,
जलाकर क्यों बुझाते हो आग चाहत की,
सर्द रातों में भी तपन का एहसास रहे,
हवा देकर भड़काते हो आग चाहत की,
आपकी नज़रों में मेरे प्यार का ठिकाना,
हम से क्यों छिपाते हो आग चाहत की,
नाज़ुक जिस्म पर उंगलिया जो रख दूँ,
बड़ी खुशी से छिपाते हो आग चाहत की,
फूलों से लिपट कर बिखर जाओ मुझ पर,
अरमानों से लुटाते हो आग चाहत की...!!