ना जोश-ओ-जुनू है अब ना दर्द ना ग़म है,
अब दिल के धड़कने की रफ़्तार भी कम है,
ना कोई वफ़ादारी है ना फ़िक्र ना ख़याल,
अब ना कोई अफ़सोस है ना आँख ही नम है,
आज कल मौसम भी थोड़ा खुश मिज़ाज़ है,
ना धूप ही ज़्यादा है ना चाँदनी कम है,
तेरे शहर से मेरा कोई वास्ता नही,
आख़िर मेरा ठिकाना तो बस मुल्क-ए-अदम है,
हम तो कभी किसी के नाम से नही जलते,
मेरी खुशी से लेकिन सबकी नाक में दम है...!!