मेरे यार तू क्यों नही समझ रहा,
उस बेवफ़ा का भूत तुझ से क्यों नही उतर रहा ।।
वो हो गयी किसी और की तेरे साथ छोड़ कर,
वो खुश है अपनी दुनिया में तेरी कद्र छोड़ कर,
तू अब भी उसके याद में रात भर रोता रहा ।।
क्या मिल जायेगा तुझे यु खुद को जला कर,
क्यों यू तू खुद को पैमानों में डुबोता रहा ।।
तू अब भी उसके एक झलक का तलबगार है,
वो मसरूफ़ हो अपनी ज़िन्दगी से तुझे धोता रहा ।।
सुन मेरी बात बदल दे ये दिल और उसकी धड़कन,
जो हर घडी तुझे उसकी यादो से जोड़ता रहा ।।
वाक़िब हु अशां नही इतना उसको भुला देना,
पर क्या करेगा इस दिल का जो टूट-टूट कर बिखरता रहा ।।
उठ निकल इस इश्क़ के दल-दल से............
ये इश्क़ इस दुनिया में किसी काम का ना रहा ।।
याद करेगा इस यार को जब ख़ुद की नज़रो में गिर जायेगा
एक में ही था जो हर लम्हां तुजे समझाता रहा ।।
~Abhishek~
~Abhishek~