पर बताने को अल्फाज कहा से लाउ.…
यु तो जीने की वजह बहूत है दुनिया मे,
प्यार तुझ से क्यों है क्या वजह बताऊ.…
जब से माना तुझे अपना .…
ना में अपना रहा न दिल अपना,
दिल को तुझ से दूर भी ले जाऊ तो कैसे उसे समजाऊ.…
मजबूरिया तो बहुत है जहाँ में जो तुज से प्यार करने से रोके,
पर इस दिल को कैसे मनाऊ.…
तू ही बता तुजे कैसे मे भूल जाऊ.….
कोई आसन सा तरीका जो हो पास तेरे ,
कह दे मुझे भी जो आसानी से मे भी जी पाउ..!~♥♥~