मुझपे ही बेबफाई के, ये इल्ज़ाम क्यों है,
सारे गुनाह मोहब्बत के,मेरे नाम क्यों है,
कहते है,ये इश्क है,बस ख़ुदा की इबादत,
फिर ये आशिक,ज़माने में बदनाम क्यों है,
तुम कहती रही मुझसे,ये इश्क सच्चा है,
फिर इन खतो में,जुदाई के पैगाम क्यों है,
हम भी शामिल थे,कभी इश्क के कारवां में,
फिर राहें-इश्क में,हम इतने नाकाम क्यों है,
कहते है लोग मुझे,शायर बहुत अच्छे हो,
फिर आज महफ़िल में हम गुमनाम क्यों है ♥♥♥..!!
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