ना वो पारी हो, ना पारी जैसी हो,
मुझे तलाश है उस की जो मेरे जैसी हो,
मेरे दिल को पहचानती ही बस काफ़ी है,
वो कोई भी हो, कहीं भी हो, कैसी भी हो,
अगर कभी रूठ जाऊँ मैं उस से तो.…
मुस्कुरा के मनाये, वो ऐसी हो,
दुःखों मैं हँसाने का हुनर जानती हो,
एक ऐसी हम-सफ़र जो समंदर की तरह गहरी हो,
उम्र भर साथ चले, वो ऐसी हो,
मुझे तलास है उस की, जो मेरे जैसी हो..!!
(KJ00004)